नाटक “मर्यादा पुरुषोत्तम” में कलाकारों ने सशक्त अभिनय से दर्शकों को किया भाव-विभोर
टुडे इंडिया ख़बर / संतोष वशिष्ठ
जयपुर, 11 मार्च, 2025
अनुपम रंग थिएटर सोसाइटी व संस्कृति मंत्रालय के सयुंक्त तत्वावधान में रवींद्र मंच के मुख्य सभागार में दो दिवसीय भारतीय लोक नाट्य समारोह की शुरुआत हुई।

नाट्य समारोह के पहले दिन सोमवार को वरिष्ठ रंगकर्मी के. के.कोहली लिखित एवं निर्देशित नाटक ” मर्यादा पुरुषोत्तम” के प्रभावी मंचन से दर्शक भाव विभोर हो गए। भगवान् श्री राम के जीवन की घटना के प्रसंग पर आधारित नाटक में दिखाया गया कि जब राजा दशरथ ने श्री राम के राजतिलक करने कि घोषणा कर दी, तो पूरी अयोध्या में आनंद मंगल होने लगा। परन्तु कैकेयी गुस्सै से भर गई।

जब दशरथ कोप- भवन में पहुंचे और कैकेयी से उदासी का करण पूछा तो उसने राजा को स्मरण करवाया कि उन्होंने उसे दो वर दिए थे। आज वे वचन पूरे करने होंगे। भरत का राजतिलक हो तथा राम को 14 वर्ष का वनवास दिया जाए। दशरथ ने रानी को बहुत समझाया पर वह टस से मस नहीं हुई। अंत में अपने धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने बड़े ही दुखी मन से अपने प्राण से भी प्यारे राम को वनवास भेजना स्वीकार किया। राम थोड़े भी विचलित नहीं हुए तथा प्रसन्नता के साथ माता-पिता के आदेश की पालना करने के लिए तैयार हो गए।

नाटक की पूरी कथा करुण रस से भरी रही। नाटक “मर्यादा पुरुषोत्तम” ने आज की युवा पीढ़ी और दर्शकों के लिए अमूल्य संदेश दिया कि आज जहाँ वृद्धावस्था में माता-पिता कि सेवा करना तो दूर उन्हें बेघर कर भटकने और तड़प तड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। जहाँ मर्यादा और रिश्तों को तार तार करने में शर्म नहीं आती। भूमि के छोटे से टुकड़े के लिए आज भाई भाई का रक्त बहा देतें हैं। वहीं, श्री राम ने माता-पिता के आदेश को मान कर उन्हें यह स्पष्ट कर दिया कि उनके लिए सम्पति, राजपाट नहीं बल्कि रिश्ते प्रमुख है।

नाटक ने कलाप्रेमियों को सदैव सत्य, संयम, दया, करुणा, धर्म और मर्यादा के मार्ग पर चलने व विभिन्न बाधाओं से लड़कर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
कलाकारों ने अपने गंभीर अभिनय से नाटक को सार्थक करते हुए दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। गौरव त्रिपाठी, महेश महावर, दुर्गा प्रसाद मंडावरा, ऋतू सैनी, फाल्गुनी कुमारी, तनुषा नागरत, रमन पारीक, विनोद कुमार परीदवाल्,जाग्रति महावर, दुर्गाप्रसाद सैनी, कृति महावर, उमराव गुर्जर, विक्रम भगत आदि ने सशक्त अभिनय से दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
नाटक जा सह निर्देशन जितेंद्र सिंह नरुका व महेश महावर का रहा।


