कहते हैं कि एक बार देवों की सभा में यह प्रश्न उठा कि सर्वप्रथम किस देव की पूजा होनी चाहिए। सभी अपने को महान मानते थे। अंत में इस समस्या को सुलझाने के लिए देवर्षि नारद ने शिव जी से पूछने की सलाह दी, और भोलेनाथ ने कहा कि इसका फैसला एक प्रतियोगिता से होगा। इस प्रतियोगिता में सभी देवों को अपने वाहन पर पृथ्वी की परिक्रमा करनी थी और प्रथम आने वाले को ही प्रथम पूज्य बनाया जाता। सभी देव तो अपने वाहनों पर सवार हो चल गए, परंतु गणेश जी ने अपने पिता शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा की और उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। बाकी देवताओं में सबसे पहले कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर सबसे पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर लौटे और बोले कि वे स्पर्धा में विजयी हुए हैं इसलिए पृथ्वी पर प्रथम पूजा पाने के अधिकारी हैं। इस पर शिव जी ने कहा कि विनायक ने तुमसे भी पहले ब्रह्मांड की परिक्रमा पूरी की है और वही प्रथम पूजा का अधिकारी होगा। कार्तिकेय खिन्न होकर पूछा यह कैसे संभव है। तब शिव जी ने स्पष्ट किया कि गणेश अपने माता-पिता की परिक्रमा करके यह प्रमाणित कर चुका है कि माता-पिता ब्रह्मांड से भी बढ़कर हैं। इसके बाद सभी देवों ने भी एक स्वर में स्वीकार कर लिया कि गणेश जी ही पृथ्वी पर प्रथम पूजन के अधिकारी हैं। तभी से गणपति का पूजन सर्वप्रथम किया जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के आरंभ से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। चाहे शादी-विवाह हो, गृह प्रवेश या अन्य कोई धार्मिक अनुष्ठान, सबसे पहले गणपति जी को याद किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य, वास्तुविद व आध्यात्मिक गुरु डॉ. अमित व्यास का कहना है कि माना जाता है कि गणेश जी के आशीर्वाद से कार्य में सफलता मिलती है और किसी प्रकार की बाधा नहीं आती।
धार्मिक महत्व
भगवान गणेश को विघ्न-विनाशक और सभी सुखों को देने वाला माना जाता है। मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य, बल, बुद्धि, और विद्या की प्राप्ति होती है।
आध्यात्मिक महत्व
गणेश जी के रूप में मनुष्य और जानवर के अंगों का मेल होता है, जो उनके आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। भगवान गणेश की सूंड सीधी तरफ़ घूमी हुई है, इसलिए उन्हें सिद्धिविनायक भी कहा जाता है। सिद्धि, आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाती है। हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश जी को विघ्न-विनाशक और सभी सुखों को प्रदान करने वाला देवता माना गया है।
मान्यता है कि कि गणपति की साधना करने पर साधक को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। गणपति की कृपा से साधक के सभी दु:ख दूर होते हैं और उसे बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि किसी भी कार्य से पहले सर्वशक्तिमान भगवान श्री गणेश जी की पूजा करने पर उस कार्य में कोई बाधा नहीं आती है और गणपति की कृपा से वह कार्य समय पर संपूर्ण होता है।
ज्योतिषीय महत्व
भगवान गणेश को नवग्रहों से संबंध रखा जाता है। नवग्रहों को शांत करने के लिए भगवान गणेश की पूजा और उपासना को सबसे उत्तम माना जाता है। पुराणों में गणेश जी की भक्ति को शनि सहित सभी ग्रहदोष दूर करने वाला बताया गया है। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश को एकदंत, गजानन, विनायक, गजकर्णक, सुमुख, लंबोदर, कपिल, धूम्रकेतु, भालचंद्र आदि नामों से भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि अगर किसी इंसान के कुंडली में कोई ग्रह अशांत है तो भगवान श्री गणेश की आराधना करने से सारे ग्रह शांत हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान श्री गणेश हर एक ग्रहों से नाता रखते हैं।
भगवान श्री गणेश और नवग्रहों से संबंध
1.अथर्वशीर्ष के अनुसार, भगवान श्री गणेश सूर्य और चंद्र ग्रह के रूप में संबोधित हैं। भगवान श्री गणेश को सूर्य ग्रह से ज्यादा तेजस्वी माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान गणेश की रश्मि चंद्र ग्रह से भी ज्यादा शीतल है।
2.धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान श्री गणेश को शांतिपूर्ण प्रवृत्ति का माना गया है। भगवान श्री गणेश पृथ्वी से भी सीधा संबंध रखते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि पृथ्वी के पुत्र मंगल के अंदर भगवान गणेश के वजह से ही उत्साह का सृजन हुआ था।
3.भगवान श्री गणेश बुध ग्रह के अधिपति है क्योंकि भगवान श्री गणेश को बुद्धि और विवेक का देवता कहा गया है। इतना ही नहीं भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है और वह अपने भक्तों की हर एक परेशानियों को दूर करते हैं।
4.हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि शुक्र ग्रह धन, पुत्र और ऐश्वर्य के संचालक है लेकिन भगवान श्री गणेश भी ऐश्वर्य, धन और पुत्र का वरदान देते हैं इसीलिए भगवान श्री गणेश को शुक्र से संबोधित किया जाता है। बृहस्पति ग्रह भी उनसे संतुष्ट रहता है।
5.शनि ग्रह भक्तों को न्याय देता है और उनके सभी कष्टों को हर लेता है वैसे ही भगवान गणेश भी कर्मों के हिसाब से फल देते हैं और भक्तों के विघ्नों को हरते हैं इसीलिए भगवान गणेश की पूजा करने से शनि ग्रह भी शांत रहता है।
6.भगवान गणेश का शरीर पुरुष व हाथी के शरीर से मिलकर बना है, इसलिए कहा जाता है कि भगवान गणेश के शरीर में राहु और केतु का निवास होता है।
गणपति पूजा का उपाय
बुधवार के दिन गणपति से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा में सिंदूर और दूर्वा अवश्य चढ़ाएं।
मान्यता है कि ये दोनों ही चीजें गणपति को बहुत ज्यादा प्रिय हैं, जिसे चढ़ाने से साधक के सभी कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं। ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान कर रहा हो, उन्हें प्रत्येक बुधवार के दिन विधि-विधान से गणपति की पूजा जरूर करनी चाहिए। मान्यता है कि गणपति पूजा करने पर बुध ग्रह से जुड़े सभी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
1.ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा महात्म्यः यह मंत्र गणेश जी का सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है। इस मंत्र के जाप से मनुष्य की बाधाएं दूर हो जाती हैं और भक्तों को उनके सभी प्रयासों में सफलता मिलने लगती है।
2.वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥महात्म्य: इस मंत्र का जप करने से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। इसमें भगवान गणेश से सभी कार्यों को निर्विघ्न पूरा करने की प्रार्थना की गई है। इसे गणेश जी के सबसे शाक्तिशाली मंत्रो में से एक माना जाता हैं।
3.ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥महात्म्यः इस मंत्र में भगवान के एकदंत स्वरूप का ध्यान किया गया है।
मान्यता है कि भगवान गणेश जी के इस मंत्र के जाप से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
4.ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा। गणेश जी का यह मंत्र अपार लक्ष्मी देने वाला है। गणेशजी की पूजा करने के बाद गणेश कुबेर मंत्र का 11 दिन तक नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति को धन के नवीन स्त्रोत मिलना आरंभ होते हैं। मान्यता है कि इसके बाद से जीवन में खुशियां दस्तक देने लगती हैं।
5.इदं दुर्वादलं ओम गं गणपतये नमः महात्म्यः
भगवान गणेश को दूर्वा (घास) बहुत प्रिय है, यदि आप गणेशजी को दूर्वा चढ़ा रहे हैं तो इस मंत्र को जपना चाहिए। मान्यता है कि इससे गणेशजी प्रसन्न होते हैं। भगवान गणेशजी को दूर्वा घास जिसे दूब खास भी कहते बहुत ही प्रिय होती है। मान्यता है कि लगातार 11 बुधवार के दिन गणेश को दूर्वा अगर अर्पित की जाय तो वे जल्द प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अगर आप किसी गंभीर बीमारियां से पीड़ित हैं या फिर व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है तो सच्चे मन से गणेश जी के मंत्र का स्मरण करते हुए दूर्वा चढ़ाएं तो आपका संकट जल्द दूर हो जाएगा।
6.गणेश जी को शमी के पत्ते करें अर्पित :
शमी के पत्ते को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस भगवान शिव के साथ उनके पुत्र गणेश जी को भी अर्पित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि गणेशजी को शमी के पत्ते अर्पित करने से मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है और घर की अशांति दूर होती है।
7.गणेश जी को मोदक चढ़ाएं
भगवान गणेश की पूजा बिना मोदक से अधूरी मानी जाती है। ऐसे में जब भी भगवान गणेश की पूजा-आराधना करें या फिर किसी परेशानी का सामना करना करना पड़े और इससे छुटकारा पाने के लिए गणेश गणेश जी को लड्डू का भोग लगाएं।
8.लाल सिंदूर करें अर्पित
आर्थिक परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए और जीवन में धन-दौलत व वैभव की प्राप्ति के लिए भगवान गणेश को सिंदूर चढ़ाएं। भगवान गणेश को सिंदूर बहुत ही प्रिय होता है। इससे उपाय से हमेशा गणेश जी आपके ऊपर कृपा रखेंगे।

