भवाई में दिखा राजस्थानी संस्कृति का वैभव, थांग ता व स्टिक डांस में मार्शल आर्ट और बेहतरीन संतुलन

टुडे इंडिया ख़बर / स्नेहा
जयपुर, 25 अक्टूबर, 2024

जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित लोकरंग महोत्सव में शुक्रवार विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने नए उत्साह का संचार किया। कार्यक्रम में शामिल जयपुराइट्स के उत्साह ने कलाकारों की होंसला अफजाई की।
दीपावली उत्सव के नजदीक आने के साथ ही शिल्पग्राम में आयोजित शिल्प मेले में स्टॉल्स पर खरीददारी करने के लिए खरीददार अधिक संख्या में पहुंचने लगे है।
लोकरंग के दौरान शिल्पग्राम के मुख्य मंच पर लोकगायन, मांगणियार, कालबेलिया, बंजारा, घूमर, चरी, ढोल थाली नृत्य, जादूगर की आकर्षक प्रस्तुति ने दर्शकों की दाद हासिल की।


वहीं, मध्यवर्ती मंच पर छत्तीसगढ़ के बायर नृत्य, मणिपुर ​के स्टिक डांस व थांग ता यानाबा, जम्मू-कश्मीर के रउफ, झारखण्ड के पुरुलिया छऊ, पंजाब के भांगड़ा, असम के बीहू, राजस्थान के सहरिया व भवाई और बिहार के झिझिया नृत्य की नयनाभिराम प्रतुतियों ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।


शुक्रवार को मध्यवर्ती मंच पर बायर नृत्य के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। खेतों में धान की बुआई के दौरान की जाने वाली देवता की पूजा का दृश्य छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से साकार किया।
इस दौरान उन्होंने दिखाया कि वह सभी मिलकर किस प्रकार पवित्र जल लेकर आते हैं और घरों, गलियों और खेतों मे जल का छिड़काव किया जाता है जिससे धान की बुआई बेहतर हो सके।
पटना से आए कलाकारों ने दुर्गा पूजा के अवसर पर होने वाले झिझिया नृत्य की प्रस्तुति दी। मणिपुर के कलाकारों ने स्टिक डांस में स्टिक से बेहतर संतुलन का ऐसा प्रदर्शन किया कि सभी रोमांचित हो गए।
जम्मू-कश्मीर के लोक कलाकारों ने रउफ नृत्य की प्रस्तुति में दिखाया कि इस नृत्य से वे अच्छी फसल होने के पर भगवान का शुक्रिया अदा करते है।


झारखंड के कलाकारों ने पुरुलिया छऊ में महिषासुर मर्दनी के प्रसंग का वर्णन किया, ऊर्जा से सराबोर करने वाली प्रस्तुति में कलाकारों के करतबों ने सभी को रोमांचित कर दिया।
राजस्थान के सहरिया नृत्य में कलाकारों ने विभिन्न वन्यजीवों का स्वांग रचा।


मणिपुर के कलाकारों ने थांग ता यानाबा नृत्य प्रस्तुति में युवक-युवतियों ने नृत्य तलवारबाजी और मार्शल आर्ट का संयोजन प्रदर्शित कर दर्शकों को रोमांच से भर दिया।


असम की संस्कृति को पेश करते हुए बीहू नृत्य ने सभी का मन मोहा। पंजाब के कलाकारों ने लोकगीत के साथ प्रसिद्ध लोकनृत्य भांगड़ा किया जिसमें धमाल, झूमर और लुड्डी के गुर दिखाई दिए। इसमें जुगनी का मेले में घूमना और उत्साह के साथ आनंदित होने का वर्णन भांगड़ा के माध्यम से किया। भवाई नृत्य में कलाकारों ने राजस्थानी संस्कृति के वैभव को मंच पर साकार किया।
जवाहर कला केन्द्र के मंच से बने दो वर्ल्ड रिकार्ड


जवाहर कला केन्द्र के मंच से दो वर्ल्ड रिकॉर्ड कलाकारों ने अपने नाम किए।
वरिष्ठ कलाकार रूप सिंह शेखावत की तीसरी पीढ़ी के सूर्यवर्धन और शिष्य आशीष ने भवाई की प्रस्तुति दी।
मध्यवर्ती के मंच पर नृत्य करते हुए सूर्यवर्धन ने दो रिकॉर्ड दर्ज करवाए।
जीनियस फाउंडेशन की ओर से ये वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ऑफ इंडिया दर्ज किए गए।
पहला रिकॉर्ड 7 चरी सिर पर रखते हुए 14 राउंड लगाने और दूसरा नॉन स्टॉप 30 मिनट तक भवाई नृत्य करने का रहा।
वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पवन सोलंकी ने दोनों रिकॉर्ड सूर्यवर्धन को प्रदान किए।