टुडे इंडिया ख़बर / स्नेहा
दिल्ली, 10 जुलाई, 2025
राजस्थान में एक बार फ़िर बीजेपी सरकार के दौर में राजनीतिक नेता बनने की पहली सीढ़ी पर पूरे पांच साल के लिए बैन लग गया है। जी हां, बीजेपी सरकार में पूरे पांच साल छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे।
उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में सरकार भले ही बीजेपी की हो, लेकिन, सरकारी विश्वविधालय, कॉलेज व निजी विवि व कॉलेजों में कि छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे।
सूत्रों ने बताया कि जिस प्रकार वर्तमान में बीजेपी सरकार के खिलाफ विपक्षी दल लगातार दबाव बनाए हुए है। ठीक उसी प्रकार प्रदेश के विष्वविधालय व कॉलेजों में भी कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई की पकड़ स्टूडेंट्स पर मजबूत बनी हुई है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से बीजेपी व कांग्रेस के किसी छात्र संगठन के उम्मीदवार अपनी जीत तय नहीं कर पा रहे है। अपितु, इन संगठनों से बगावत करने वाले उम्मीदवार अपेक्स पदों पर जीतकर आ रहे है। इससे सरकार बनाने वाले दोनों महत्वपूर्ण दलों बीजेपी व कांग्रेस की पकड़ स्टूडेंट्स पर बेहद कमजोर हो चुकी है।
राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय राजनीति में जिस प्रकार बीजेपी और कांग्रेस में कद्दावर नेताओं की कमी महसूस की जा रही है ल। ठीक उसी प्रकार से राजस्थान के सरकारी विश्वाविद्यालय व कॉलेज के साथ निजी विश्वाविद्यालय व कॉलेजों में भी बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठनओं एबीवीपी व एनएसयूआई में छात्र नेताओं की पकड़ बिलकुल कम हो चुकी है, यानी इन संगठनों में छात्र नेताओं का अस्तित्व विलुप्ति की कगार पर आ चुका है।
ऐसी स्थिति में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल ही अपनी पार्टियों से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई को छात्र संघ चुनाव लड़ने के लिए उपयुक्त नहीं मानते।
यही कारण है कि सत्तारूढ़ बीजेपी पार्टी डेढ़ साल बीतने के बाद भी अभी तक छात्र संघ चुनाव करवाने के लिए निर्णय नहीं ले पाई है।
सत्तारूढ़ बीजेपी पार्टी के उच्च पदस्थ विश्वसनीय सूत्र और उच्च शिक्षा से जुड़े आला अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि छात्र संघ चुनाव में बीजेपी से जुड़े एबीवीपी संगठन चुनाव लड़ने की स्थिति में एक बार फिर तीसरे पायदान पर रहने की संभावना है। जबकि अपेक्स के पदों पर कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई संगठन भी अपनी जीत तय नहीं कर पाएगा। इस स्थिति में एक बार फिर यदि चुनाव घोषणा होती है तो निर्दलीय प्रत्याशी अपेक्स पदों पर जीत कर आने की संभावना प्रबल बन चुकी है।
इन परिणामों से बीजेपी सरकार की पकड़ युवाओं पर कमजोर बनने की संभावना है। जिससे आगामी नगर निगम सहित अन्य चुनावों के साथ आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पकड़ ढ़ीली पड़ेगी। यही कारण है कि बीजेपी सरकार पूरे पांच साल छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना चाहती है।

