पाकिस्तान में लगी वॉटर इमरजेंसी! मस्जिदों से हो रहे ऐलान, झेलम नदी में बाढ़ से दहशत में आए लोग…

टुडे इंडिया ख़बर / स्नेहा
दिल्ली, 26 अप्रैल, 2025

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान पर हर तरफ से मुसीबत टूट रही है। भारत की तरफ से सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद ‘आतंकिस्तान’ पानी के तरसने वाला है।
इस बीच शनिकार को पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया है कि भारत ने बिना किसी पूर्व सूचना के झेलम नदी (Jhelum River) में अधिक पानी छोड़ दिया। जिसके कारण मुजफ्फराबाद में अचायक भयंकर बाढ़ आ गई है।
झेलम नदी से पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद के हट्टिन बाला इलाके में पानी छोड़ने के बाद स्थानीय लोग इलाका खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। स्थिति खराब होने के बाद मुजफ्फराबाद प्रशासन ने वॉटर इमरजेंसी का ऐलान किया है। अचानक झेलम नदी में पानी छोड़ने से मुजफ्फराबाद के पास पानी का स्तर तेजी से बढ़ गया। मस्जिदों में ऐलान कर स्थानीय लोगों को चेतावनी दी जा रही है।
7 से 8 फीट बढ़ा जलस्तर
पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि झेलम नदी में पानी भारत के अनंतनाग से घुसा और चकोठी क्षेत्र से होकर बह गया। चकोठी में पानी की मात्रा में अचानक और असामान्य वृद्धि देखी गई, जिससे नदी के किनारे बसे गांवों में अफरा-तफरी मच गई और लोगों में दहशत बनी हुई है। झेलम नदी का जलस्तर सामान्य से 7-8 फीट ऊपर बढ़ गया है और लोगों को नदी के किनारों से दूर रहने की चेतावनी दी गई है।
मुजफ्फराबाद के डिप्टी कमिश्नर मुदस्सर फारूक का कहना है कि झेलम नदी में निचले स्तर पर बाढ़ आ गई है, जिससे 22,000 क्यूसेक पानी बह रहा है। वहीं, पाकिस्तान के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) का कहना है कि अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के बारे में जानकारी नहीं दी गई है, पानी को मंगला बांध तक पहुंचने में समय लगेगा और नीचे की ओर सुरक्षा उपाय किए गए हैं। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि भारत पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
भारत ने स्थगित की सिंधु जल संधि…
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आंतकी हमले के बाग भारत सरकार ने 1960 में हुई सिंधु जल संधि स्थगित करदी है। भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित करने के लिए आधिकारिक अधिसूचना भी जारी करदी है। भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष सैयद अली मुर्तजा को लिखे पत्र इसकी जानकारी दी थी। विश्व बैंक की मध्यस्थता से 1960 में भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि की थी। यह समझौता दोनों देशों को सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के उपयोग के तौर तरीकों का प्रावधान करता है।
अब नहीं देनी होगी बाढ़ की खबर..
सिंधु जल संधि के तहत दोनों देशों के जल आयुक्तों की सालाना बैठक होती थी, जो अब नहीं होगी। अब भारत, पाकिस्तान को नदियों का प्रवाह, बाढ़ की चेतावनी और ग्लेशियर पिघलने की जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं है। शनिवार को भी भारत ने ये ही किया है। पाकिस्तान को झेलम नदी में पानी छोड़ने की जानकारी नहीं दी गई।पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। इस बीच भारत की ओर से शनिवार (26 अप्रैल,2025) को पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद के हट्टिन बाला इलाके में झेलम नदी में पानी छोड़ दिया गया।
इसकी वजह से मुजफ्फराबाद प्रशासन ने वॉटर इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। दरअसल, झेलम नदी में पानी छोड़ जाने की वजह से मुजफ्फराबाद में अचायक भयंकर बाढ़ आ गई।
जानकारी के मुताबिक उरी में अनंतनाग जिले से चकोठी में पानी घुसने से झेलम नदी में अचानक भयंकर बाढ़ आ गई, जिससे स्थानीय लोगों में डर और दहशत फैल गई। केंद्र सरकार उन तीन नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग करने के तरीकों पर अध्ययन करने की योजना बना रही है, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान सिंधु जल संधि के तहत कर रहा था। यह प्रस्ताव शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में रखा गया, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि पर भविष्य की कार्रवाई के संबंध में चर्चा की गई।
विश्व बैंक की मध्यस्थता वाली जल संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों- सतलुज, ब्यास और रावी के पानी पर विशेष अधिकार दिए गए थे, जिसका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 33 मिलियन एकड़ फुट (एमएएफ) है। पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आवंटित किया गया था, जिसका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 135 एमएएफ है।
‘पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान में न जाए’..
जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने की रणनीति पर काम कर रही है कि पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान में न जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई निर्देश जारी किए हैं और उन पर अमल के लिए यह बैठक आयोजित की गई।
सूत्रों के मुताबिक सरकार अपने निर्णयों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है। एक अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय को तीन पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग करने के तरीकों पर अध्ययन करने के लिए कहा गया है। विशेषज्ञों ने बुनियादी ढांचे की कमी के बारे में बात की है जो संधि को निलंबित करने के फैसले से मिलने वाले पानी का पूरी तरह से उपयोग करने की भारत की क्षमता को सीमित कर सकती है।
‘स्वाभाविक कारण से पानी पाकिस्तान की ओर बहता रहेगा’
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स रिवर्स एंड पीपल (एसएएनडीआरपी) के हिमांशु ठक्कर ने कहा कि वास्तविक समस्या पश्चिमी नदियों से संबंधित है, जहां बुनियादी ढांचे की सीमाएं हमें पानी के प्रवाह को तत्काल रोकने से रोकती हैं। चिनाब घाटी में हमारी कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिन्हें पूरा होने में पांच से सात साल लगेंगे। तब तक स्वाभाविक कारण से पानी पाकिस्तान की ओर बहता रहेगा। एक बार ये चालू हो जाएं, तो भारत के पास नियंत्रण तंत्र होगा, जो वर्तमान में मौजूद नहीं है।
पर्यावरण कार्यकर्ता और मंथन अध्ययन केंद्र के संस्थापक श्रीपद धर्माधिकारी ने कहा कि भारत पानी के बहाव को तेजी से मोड़ सकता है। फिलहाल हमारे पास पाकिस्तान में पानी के बहाव को रोकने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का अभाव है।