टुडे इंडिया ख़बर / संतोष वशिष्ठ
जयपुर, 11 मार्च, 2025
जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर में 13 मार्च को होलीका दहन का विधिवत मंत्र उच्चारण के साथ आयोजन किया जाएगा। मंदिर के सेवा अधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि मंदिर ठिकाना श्री गोविंद देव जी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी जी के सानिध्य में शहर के संत महंतों की उपस्थिति के बीच रात्रि 11:31 पर विधिवत्त मंत्रोच्चार के साथ होलिका दहन होगा।

उन्होंने बताया कि होलिका दहन में गौ काष्ठ का प्रयोग किया जाएगा। इससे पूर्व रात्रि 11:00 बजे मंदिर में गणपति आदि देवों का विधि-विधान से पूजन अर्चन कर हवन किया जाएगा। इसके बाद स्थानीय पंडितों की ओर से मंत्र उच्चारण के साथ होलिका दहन होगा। दहन के बाद सभी संत महंतों का मंदिर प्रबंधन की ओर से साफ़ा, दुपट्टा और प्रसाद देकर सम्मान किया जाएगा।

मन्दिर से जुड़े धर्म प्रचारक विजय शंकर पांडे ने बताया कि होलिका दहन से पूर्व प्रातः 10:00 बजे से ही स्थानीय निवासियों की ओर से होलिका डांडा (भक्त प्रह्लाद) की पूजा अर्चना की जाएगी।

इस मौके पर डॉ. प्रशांत शर्मा एवं गोविंद मिश्रा ने बताया कि होली का दहन पर पान, सुपारी, एक पताशा, लोंग का जोड़ा, कपूर को विधिवत होलिका दहन में अर्पित करना चाहिए, जिस घर की सुख समृद्धि होती है।
सिटी पैलेस में होगा भव्य होलिका दहन
वही, दूसरी हो जयपुर राज परिवार की ओर से सिटी पैलेस परिसर में रात्रि 11.31 बजे होलिका दहन का भव्य कार्यक्रम होगा। पूर्व राजपरिवार के पद्मनाभ सिंह विधिवत मंत्रोच्चार के साथ हवन व पूजा अर्चना कर होलिका दहन करेंगे। इस मौके पर स्थानीय कलाकार चंग व ढप की थाप पर पारम्परिक गीतों की प्रस्तुति देंगे। होलिका दहन के बाद स्थानीय नागरिक सिटी पैलेस परिसर से होलिका अग्नि ले जाएंगे और अपने अपने इलाकों में होलिका दहन करेंगे। इस अवसर पर सिटी पैलेस परिसर में पूर्व ठिकानेदार, जागीरदार व पर्यटक पारम्परिक होलिका पर्व का आनंद लेंगे।
शहर में होलिका पूजन व दहन:
होलिका के पास दक्षिण दिशा में एक कलश रखकर पंच देवताओं की पूजा कर ॐ होलिकायै नमः मन्त्र पढ़ते हुए होलिका का भी पञ्चोपचार पूजन करके उनका दहन किया जाएगा।
दहन विधि:
होलिका के चारों ओर कच्चे सूत को तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए लपेटा जाएगा। रोली, चावल से तिलक कर घर पर बने मिष्ठान और देसी घी की अठावरी का भोग लगाकर जल अर्पित कर होलिका और भक्त प्रहलाद की पूजा होगी। पूजन के बाद हाथ में शुद्ध जल का लोटा लेकर परिक्रमा कर अर्घ्य दिया जाएगा। होलिका में आहुति के लिए कच्चे आम, उपले की माला, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य एवं नई फसल का कुछ भाग प्रयोग किया जाएगा।
होलिका दहन सामग्री- अक्षत, गंध, गुड़, फूल, माला, रोली, गुलाल, कच्चा सूत, हल्दी, एक लोटे में जल, नारियल, बताशा, गेहूं की बालियां और मूंग आदि।

