पूजा मुहूर्त: शाम 5:46 बजे से शाम 7:09 बजे तक (1 घंटा 16 मिनट)

टुडे इंडिया ख़बर / स्नेहा
दिल्ली, 19 अक्टूबर, 2024

“अखंड सौभाग्य की कामना के साथ महिलाएं कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत करेगी। पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को किया जाएगा”
“इस साल करवा चौथ पर पूजा के लिए केवल एक घंटा 16 मिनट का ही शुभ मुहूर्त है। इस बार यह व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पांच शुभ योग बन रहे हैं, जिसका लाभ वृषभ, कन्या और तुला राशियों को विशेष रूप से होने वाला है।”
“इन योगों के बनने से होगा लोगों को लाभ
करवा चौथ पर बन रहे शुभ योग ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अब की बार सूर्य और बुध दोनों ही ग्रह शुक्र की राशि तुला में हैं। ऐसे में बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शुक्र के वृश्चिक राशि में आने वह गुरु के साथ मिलकर समसप्तक योग का निर्माण कर रहे हैं।”
“इसके अलावा शनि अपनी राशि कुंभ में रहकर शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा चंद्रमा वृषभ राशि में गुरु के साथ युति करके गजकेसरी राजयोग का निर्माण कर रहे हैं।”
“आजकल कुछ युवतियां भी भावी पति के लिए यह व्रत रखती हैं, हालांकि उनके व्रत का नियम कुछ अलग है। इसके अलावा कुछ पति भी करवा चौथ का व्रत रखते हैं। बहरहाल, इस व्रत में सबसे पहले देवी पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय, गणेश जी और चौथ माता (देवी पार्वती का रूप) की पूजा की जाती है।
करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। बाद में चन्द्रमा के दर्शन और करवा (मिट्टी के पात्र से) उनको अर्घ्य के बाद ही यह व्रत तोड़ा जाता है। करवा चौथ का व्रत काफी कठोर व्रत माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन तक महिलाएं बिना अन्न और जल ग्रहण किए उपवास रखती हैं। पूजा के बाद इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में दे दिया जाता है।”
इस साल करवा चौथ पर भद्रा का साया बना हुआ है। पंचांग के अनुसार 20 अक्तूबर सुबह 06 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06:46 तक भद्रा रहेगी।अत इससे पूर्व ही स्नान व सरगी ले लेवे
“करवा चौथ पूजा विधि

  1. करवा चौथ व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ-सुधरे कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  2. इसके बाद साफ हाथों से घर की दीवारों पर गेरु से करवा का चित्र बनाएं। सोलह श्रृंगार कर पूजा स्थल पर माता पार्वती, भगवान शिव, गणेशजी, कार्तिकेय की तस्वीर को रखें।
  3. एक करवा में जल भरकर पूजा के स्थान पर रखें और उसमें जल भरें।
  4. इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें और चौथ माता की कहानी सुनें। कथा पूर्ण होने के बाद बड़े लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
  5. शाम के लिए पूजा के लिए थाली तैयार कर लें, फिर एक चौकी पर करवा माता की तस्वीर रखें, उसके बाद दीया जलाएं।
  6. गौरा पार्वती, चौथ माता और पूरे शिव परिवार की पूजा करें। करवा चौथ की कथा सुनें और पति की दीर्घायु के लिए मन ही मन प्रार्थना करें।
  7. चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी की सतह पर जलता हुआ दीया रखकर चंद्र दर्शन करें, फिर इसी से पति का मुंह देखें।
  8. चंद्रमा को देख कर अपनी पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें, फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत को खोलें। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेकर करवा को सास या किसी सुहागिन स्त्री को दे दें, और उनके पैर छू लें।”
    “करवा चौथ 2024 तिथि और पूजा मुहूर्त करवा चौथ 2024 तिथि..
    20 अक्टूबर 2024, रविवार पूजा मुहूर्त: शाम 5:46 बजे से शाम 7:09 बजे तक (1 घंटा 16 मिनट)
    “20 अक्टूबर 2024 को करवा चौथ पर किस शहर में चांद किस समय उदय होगा?
    सूरत में चांद शाम 7:40 बजे उदय होगा
    जयपुर में चांद शाम 7:54 बजे उदय होगा कुछ 8.05भी मान रहे है।
    आगरा में चांद रात 8:16 बजे उदय होगा
    लखनऊ में चांद रात 8:05 बजे उदय होगा
    बरेली में चांद शाम 7:46 बजे उदय होगा
    वाराणसी में चांद शाम 7:32 बजे उदय होगा
    कानपुर में चांद शाम 7:32 बजे उदय होगा
    चेन्नई में चांद रात 8:43 बजे उदय होगा
    पुणे में चांद रात 8:56 बजे उदय होगा
    मुंबई में चंद्रमा 8:59 बजे उदय होगा
    कुरुक्षेत्र में चंद्रमा 8:00 बजे उदय होगा
    गाजियाबाद में चंद्रमा 8:11 बजे उदय होगा
    नोएडा में चंद्रमा 8:14 बजे उदय होगा
    नई दिल्ली में चंद्रमा 8:15 बजे उदय होगा
    देहरादून में चंद्रमा 7:09 बजे उदय होगा
    कोलकाता में चंद्रमा 7:46 बजे उदय होगा
    बैंगलोर में चंद्रमा 7:55 बजे उदय होगा
    गुरुग्राम में चंद्रमा 8:16 बजे उदय होगा
    चंडीगढ़ में चंद्रमा 7:54 बजे उदय होगा
    फरीदाबाद में चंद्रमा 8:04 बजे उदय होगा
    अमृतसर में चंद्रमा 7:54 बजे उदय होगा
    अंबाला में चंद्रमा 7:55 बजे उदय होगा
    भोपाल में चंद्रमा 8:29 बजे उदय होगा
    इंदौर में चंद्रमा 8:25 बजे उदय होगा
    अहमदाबाद में चंद्रमा 7:38 बजे उदय होगा
    “करवा चौथ व्रत समय सुबह छह बजकर 25 मिनिट से रात्रि सात बजकर 54 मिनट (अवधि 13 घंटे 29 मिनट) तक रहेगा।”
    “करवा चौथ व्रत की शुरुआत हमेशा सरगी खाने से की जाती है, जो सूर्योदय से लगभग दो घंटे पहले तक खाई जाती है। व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को उपहार देती है।
    यदि सास न हो तो घर की बड़ी महिला या ननद भी सरगी दे सकती है।
    सरगी की थाल में कुमकुम, बिंदी, मेहंदी, साड़ी, सिंदूर, बिछिया, सूखे मेवे, मिठाई, ताजे फल, शगुन मनी आदि शामिल होते है।
    सनातन पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है।
    ⚛️पहली बार करवा चौथ व्रत करने के नियम-:
    सोलह श्रृंगार-:
    करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। ऐसे में करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें, जैसे कि हाथों में मेहंदी लगाएं और पूरा श्रृंगार करें। मान्यता है कि ऐसा करने से चौथ माता प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
    लाल रंग के कपड़े-:
    करवा चौथ के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं, उन्हें शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। हालांकि लाल रंग की कोई अन्य ड्रेस भी पहनी जा सकती है। लेकिन काले,नीले, भूरे या सफ़ेद रंग के कपड़े न पहनें।
    बाया-:
    जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करती हैं, उनके मायके से बाया भेजा जाता है। जिसमें कपड़े, मिठाइयां एवं फल आदि होते हैं। शाम की पूजा से पहले बाया पहुँच जाना चाहिए।
    व्रत पारण-:
    पूजा, चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करें और अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें। रात में सिर्फ़ सात्विक भोजन ही करें। प्याज़, लहसुन जैसे तामसिक व गरिष्ठ भोजन के सेवन से परहेज करें।
    संयमित वार्तालाप व प्रभु स्मरण-:
    व्रत के दिन ज्यादा से ज्यादा मौन रहे, अनर्गल वार्तालाप ना करें, कम बोलें। प्रभु का ध्यान स्मरण करें, नाम जप व मंत्र जप करें।
    पारिवारिक परंपराओं को महत्व दें-:
    करवा चौथ के व्रत के नियमों का पालन अपनी पारिवारिक व क्षेत्रीय परंपराओं के आधार पर करें। अर्थात अपने पारिवारिक परंपराओं को महत्व दें।।
    करवाचौथ पूजन विधि
    इस व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि और सन्तान सुख मिलता है।
    महाभारत में भी करवाचौथ के महात्म्य पर एक कथा का उल्लेख मिलता है।
    भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवाचौथ की यह कथा सुनाते हुए कहा था कि पूर्ण श्रद्धा और विधि-पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-सौभाग्य तथा धन-धान्य की प्राप्ति होने लगती है। श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा मानकर द्रौपदी ने भी करवा-चौथ का व्रत रखा था।
    इस व्रत के प्रभाव से ही अर्जुन सहित पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना को पराजित कर विजय हासिल की।थी।
    करवा का पूजन
    करवा चौथ के पूजन में धातु के करवे का पूजन श्रेष्ठ माना गया है। यथास्थिति अनुपलब्धता में मिट्टी के करवे से भी पूजन का विधान है।
    ग्रामीण अंचल में ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ के पूजन के दौरान ही सजे-धजे करवे की टोंटी से ही जाड़ा निकलता है।
    करवा चौथ के बाद पहले तो रातों में धीरे-धीरे वातावरण में ठंड बढ़ जाती है और दीपावली आते-आते दिन में भी ठंड बढ़नी शुरू हो जाती है।
    करवा चौथ व्रत विधान
    व्रत रखने वाली स्त्री सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, स्नान एवं संध्या आदि करके, आचमन के बाद संकल्प लेकर यह कहे कि मैं अपने सौभाग्य एवं पुत्र-पौत्रादि तथा निश्चल संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करूंगी।
    यह व्रत निराहार ही नहीं, अपितु निर्जला के रूप में करना अधिक फलप्रद माना जाता है। इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गौरा का पूजन करने का विधान है।
    करवा चौथ व्रत पूजन
    चंद्रमा, शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा षोडशोपचार विधि से विधिवत पूजन करे
    “करवा में कई सारी सामग्री भरी जाती है, जो कि पूरी तरह से शुद्ध और पवित्र होना जरूरी है क्योंकि मान्यता के अनुसार, करवा को करवा माता का प्रतीक माना जाता है और इसमें भरी जाने वाली सभी चीजें करवा माता को अर्पित की जाती हैं। इसमें मुख्य रूप से गेहूं भरा जाता है और इसे बेहद शुभ माना गया है।”
    करवा चौथ पर करवे में क्या भरा जाता है?
    इसमें मुख्य रूप से गेहूं भरा जाता है और इसे बेहद शुभ माना गया है. करवे के ढक्कन में चीनी भरी जाती है, जो कि पूजा में शामिल होने वाली चीजों मे से एक है। आप चाहें तो करवे में गंगाजल या दूध भरकर भी रख सकती हैं।
    हालांकि, इस बात का विशेष ख्याल रखें कि, ये अर्घ्य देने वाला कलश करवे से अलग होना चाहिए।
    कुछ लोग पूजा की थाली में दो करवे रखते हैं। जिसमें एक करवे में अनाज भरे जाते हैं और दूसरे में गंगाजल युक्त भर के रखा जाता है। इसके साथ ही कहीं पर लोग चार करवे रखते हैं। जिसमें एक करवा सुहागिन और तीसरा माता करवा के लिए रखा जाता है।
    “यदि हम ज्योतिष की मानें तो पीरियड्स के दौरान किसी भी पूजा-पाठ की मनाही होती है, लेकिन चूंकि करवा चौथ साल में एक बार आता है और आपको करवा चौथ की पूजा छोड़नी नहीं चाहिए।
    हालांकि, आप स्वयं ये पूजा न करें” “यदि आपके घर में कोई अन्य महिला मौजूद नहीं है तो आपके स्थान पर आपके पति भी पूजा के सभी नियमों का पालन करके पूजा कर सकते हैं। क्योंकि, पति-पत्नी को एक-दूसरे का पूरक माना जाता है और इससे पूजा का पूर्ण फल भी मिलता है।
    करवा चौथ पूजन समाप्त होने के बाद पति के हाथ से पानी पिएं और व्रत खोलें।
    करवा चौथ के व्रत की कथा
    करवा चौथ की कहानी है कि, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खिंचने लगा। मृत्यु करीब देखकर करवा के पति करवा को पुकारने लगे। करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते मगर को देखा। करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छा कच्चे धागे में ऐसा बंधा की टस से मस नहीं हो पा रहा था। “करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा। यमराज ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है। क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको शाप दे दूंगी। सती के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। इसलिए करवाचौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।”