टुडे इंडिया ख़बर / ब्यूरो
दिल्ली,16 नवम्बर, 2024
ईरान और इजरायल के बीच तनाव जारी है। इस बीच दावा किया जा रहा है कि ईरान की टॉप खुफिया परमाणु प्रयोगशाला को तबाह कर दिया गया है। हालांकि इसको तबाह करने के लिए इजरायल ने कोई नया हमला नहीं किया, बल्कि अक्टूबर में परचिन सैन्य परिसर में किए गए हमले में ईरान को यह नुकसान उठाना पड़ा है।
इजरायल के इस कदम से ईरान के परमाणु हथियार रिसर्च को पुनर्जीवित करने की कोशिशों को भारी नुकसान पहुंचा है। बताया जा रहा है कि ईरान पिछले साल से इस प्रयोगशाला को खुफिया तरीके से चला रहा था।
दोबारा खड़ा नहीं हो पाएगा ईरान..
दावा है कि इजरायल ने इस हमले को अंजाम देने के लिए 100 से ज्यादा लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था।
यह दावा इजरायली और अमेरिकी अधिकारियों की तरफ से किया गया है। जिसकी कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
एक इजरायली अफसर ने कहा कि ईरान के जिस पारचिन सैन्य परिसर को निशाना बनाया गया था उसके अंदर तालेघन-2 न्यूक्लियर सिस्टम भी था, जिसका इस्तेमाल 2003 से पहले परमाणु उपकरण के ज़रिए विस्फोटकों का परीक्षण किया जाता था।
इजरायल की तरफ से किए गए इस हमले ने प्लास्टिक धमाकों को डिजाइन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अत्याधुनिक उपकरणों को तबाह कर दिया, जो परमाणु उपकरण में यूरेनियम को घेरने और धमाकों के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
ईरान परमाणु हथियारों के पीछे नहीं है’
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने परमाणु हथियारों की खोज को जोरदार तरीके से नकार दिया है। उन्होंने कहा,’ईरान परमाणु हथियारों के पीछे नहीं है’।
हालांकि, इजरायल और अमेरिकी अधिकारियों ने एक अलग कहानी बताई है। रिपोर्ट के मुताबिक तालेघन-2 सिस्टम कभी ईरान के ‘अमाद परमाणु हथियार कार्यक्रम’ का हिस्सा था, जिसे 2003 में रोक दिया गया था, लेकिन हाल की गतिविधि ने परमाणु हथियारों को फिर से जीवित करने का संकेत दिया। हाई-रिज़ॉल्यूशन सेटेलाइट इमेजरी तालेघन-2 इमारत के पूरी तरह तबाह होने की पुष्टि करती है।
अमेरिका ने दी थी चेतावती
इजरायली हमले से पहले व्हाइट हाउस ने ईरान को संदिग्ध रिसर्च गतिविधियों के बारे में चेतावनी भी दी थी।
हालांकि, इन चेतावनियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिससे ईरान के इरादों को लेकर सभी जगह चिंताएं पैदा हो गईं।
ईरान के अघोषित परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा रही ‘तालेघन-2’ उसके ज़रिए संधि के प्रति, उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करती हैं।
यह हमला इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ा सकता है, जिससे संभावित रूप से पश्चिम एशिया में अस्थिरता पैदा हो सकती है।
IAEA की मीटिंग का दुनिया को इंतेजार..
पहले से ही इजरायल की मार झेल रहे ईरान को और बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमेरिका में ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं और ईरान पर ट्रम्प प्रशासन के आक्रामक रुख से तनाव बढ़ सकता है, साथ ही सख्त पाबंदियां लग सकती हैं। कहा जा रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की तरफ से ईरान के सहयोग की कमी के लिए उसके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग कराई जा सकती है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सांस रोककर मीटिंग के फैसले का इंतेजार कर रहा है।
यह देखने योग्य होगा कि क्या ईरान IAEA के साथ अपने सहयोग को सीमित करेगा, या अपने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर यूरोपीय शक्तियों के साथ बातचीत करेगा? दुनिया ईरान के अगले कदम का इंतजार कर रही है।