जब जीवन जलेबी बन जाए तो दूध के साथ गटक जाना चाहिए”

टुडे इंडिया ख़बर / स्नेहा
जयपुर, 19 अक्टूबर, 2024

नेट थिएटर कार्यक्रमों की श्रृंखला में शनिवार को नाद सोसाइटी और जयपुर रंगमंडल की ओर से इम्प्रोम्टू एक्सपेरिमेंटल थियेटर के तहत नाटक ‘दूध जलेबी’ का मंचन किया गया।
इस अनूठी प्रस्तुति में बिना किसी स्क्रिप्ट या पूर्व तैयारी के कलाकारों ने नाटक को स्टेज पर गढ़ा और दर्शकों के सामने एक ज्वलंत और प्रभावी कहानी प्रस्तुत की।
नाटक के प्रमुख पात्रों में मनोज स्वामी, रेनू सनाढ्य, धृति शर्मा, वीरेंद्र राठौड़, राजेंद्र शर्मा राजू और जीवितेश शर्मा ने अपने असाधारण अभिनय से नाटक को जीवंत किया।
मिहिजा शर्मा, डॉ. मुकेश सैनी, और अंकित शर्मा नोनू,सागर गढ़वाल ने बैकस्टेज से नाटक को सफलतापूर्वक प्रस्तुत करने में योगदान दिया।
नाद सोसाइटी एवं नेट थिएट के अनिल मारवाड़ी ने बताया कि इस नाट्य संध्या का आयोजन संस्था द्वारा कलाकारों को इम्प्रोवाइजेशनल थिएटर की शिक्षा देने के उद्देश्य से किया गया था। नाटक के दौरान, कलाकारों ने बिना किसी पूर्व रिहर्सल या कथानक के स्टेज पर अपनी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन किया।
इस इम्प्रोम्टू प्रस्तुति में कलाकारों ने दांपत्य जीवन के संघर्षों को इम्प्रोवाइजेशन के माध्यम से दिखाया।
नाटक में पति-पत्नी के रिश्ते में शक और सहनशीलता की कमी के कारण तलाक तक की नौबत आ जाती है, जो दर्शकों को गंभीर चिंतन की ओर प्रेरित करती है।
क्या है इम्प्रोवाइजेशनल थिएटर?
इम्प्रोवाइजेशनल थिएटर, जिसे इम्प्रोव थिएटर भी कहा जाता है, रंगमंच का एक ऐसा रूप है जिसमें अधिकांश या सभी क्रिया अनियोजित या बिना स्क्रिप्ट के होती है।
इसका इतिहास 391 ईसा पूर्व के एटेलन फ़ार्स से जुड़ा है। 16वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान कॉमेडिया डेल’आर्टे के कलाकारों ने इटली की सड़कों पर इस शैली का प्रदर्शन किया था।
इस थिएटर में संवाद, कहानी और किरदार कलाकारों द्वारा मंच पर ही गढ़े जाते हैं।