टुडे इंडिया ख़बर / स्नेहा
जयपुर, 8 मार्च, 2025

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के डॉ.अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र की ओर से अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विशेष व्याख्यान का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर स्थित डॉ.अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के सभागार में 8 मार्च 2025 को महिला उत्थान में डॉ.बी.आर.अम्बेडकर का योगदान विषय पर किया गया। डॉ.अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र की निदेशक डॉ.लोकेश्वरी ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों की ओर से मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया और अतिथियों का स्वागत केन्द्र निदेशक की ओर से पौधा भेंट कर किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय कुण्ढेला, वडौदरा में विभागाध्यक्ष प्रो.जनक सिंह मीना ने अपने उद्बोधन में कहा कि 19 वीं सदी में भारतीस नारी अनेक कुप्रथाओं एवं कुरीतियों का शिकार रही और महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए राजाराम मोहनराय ने ब्रह्म समाज की, महादेव गोविंद रानाडे ने प्रार्थना सभा की और स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कर इस दिशा में कार्य किया। परन्तु, इसकी प्रभावशीलता सीमित रही, केवल ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले ने वंचित तबके की शिक्षा के लिए प्रयास किए। वहीं, 20 वीं सदी में बाबा साहेब डॉ.बी.आर. अम्बेडकर ने महिलाओं के उत्थान के लिए व्यापक और प्रभावशाली कार्य किए। उन्होंने 1927 में चावदार तालाब में पानी प्राप्ति का महाड सत्याग्रह किया।
प्रो.मीना ने कहा कि अम्बेडकर को संकीर्णता के दायरे में न बांध कर उनको व्यापक मानवतावादी दृष्टिकोण से देखना होगा । भारत के संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के सच्चे प्रहरी भी थे। वे दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के उत्थान के लिए जीवनभर संघर्षरत रहे।
डॉ.अंबेडकर का मानना था कि जब तक समाज में महिलाओं को समानता नहीं मिलेगी, तब तक राष्ट्र की प्रगति अधूरी रहेगी। उन्होंने कानूनी, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए ऐतिहासिक कार्य किए।
संविधान निर्माण के दौरान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने महिलाओं को समानता और सुरक्षा प्रदान करने वाले कई महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े। अनुच्छेद 14 – पुरुषों और महिलाओं के लिए समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15(3) – महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष सुविधाएँ, अनुच्छेद 39(d) – समान कार्य के लिए समान वेतन, अनुच्छेद 42 – महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य परिस्थितियाँ और मातृत्व लाभ। प्रो.मीना ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने 1951 में हिंदू कोड बिल का मसौदा तैयार किया, जिससे महिलाओं को विवाह, तलाक और संपत्ति के अधिकार मिलने वाले थे।
इस बिल के प्रमुख प्रावधान बहुविवाह की समाप्ति, तलाक का अधिकार, संपत्ति में अधिकार थे।
हालाँकि, बिल का भारी विरोध हुआ, लेकिन उनकी दृढ़ता ने आगे चलकर हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) और दहेज निषेध अधिनियम (1961) जैसे कानूनों का मार्ग प्रशस्त किया। डॉ.अंबेडकर ने 1942-46 में श्रम मंत्री के रूप में कार्य करते हुए महिलाओं के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जैसे: मातृत्व अवकाश का प्रावधान, कामकाजी महिलाओं के लिए समान वेतन की नीति, शोषण और दुर्व्यवहार से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण। डॉ.अंबेडकर ने बाल विवाह के खिलाफ, देवदासी प्रथा के उन्मूलन के लिए, जाति और वर्ग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए। उन्होंने महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को किया सम्मानित
इस अवसर पर शिक्षा, शोध, लेखन, समाज सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को “स्वामी विवेकानंद वुमन्स प्राइड अवार्ड-2025” से सम्मानित किया गया। जिसमें देशभर की महिलाओं को अवार्ड देकर नवाजा गया। इनमें शिमला से प्रो. ममता मोक्ता, संस्कृत समृद्धि की निदेशक डॉ. किरण चौधरी, डॉ. लोकश्वरी, डॉ. नितिला माथुर, डॉ. अनुजा जैन, डॉ.नीलम सेन, डॉ. निशा जैन, डॉ.बबीता तिवारी, डॉ. सुमित्रा शर्मा सहित अनेक महिलाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।