जयपुर के श्रीमहन्त महामण्डलेश्वर स्वामी श्रीपद्मनाभशरण देवाचार्य महाराज को संतशिरोमणि’ उपाधि..
टुडे इंडिया ख़बर / स्नेहा
वाराणसी, 27 दिसंबर,24
अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् के 24वें विद्वद् अलंकरण समारोह का आयोजन वाराणसी में सम्पन्न हुआ।
समारोह में देशभर के 28 विद्वानों समेत जयपुर के अनेक विद्वानों को सम्मानित किया गया। जिसने इस बात को फिर से सिद्ध किया कि गुलाबी नगर न केवल सांस्कृतिक धरोहरों का केंद्र है, बल्कि ज्ञान और विद्या के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय मंच पर अपनी धाक जमा रहा है।
समारोह में जयपुर के श्रीमहन्त महामण्डलेश्वर स्वामी श्रीपद्मनाभशरण देवाचार्य महाराज का उसी तरह अग्रपूजन किया गया, जिस तरह युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण का किया था। महाराज को ‘संतशिरोमणि’ उपाधि प्रदान की गई।
धर्म एवं शास्त्रों के संरक्षण और संवर्धन में विशिष्ट योगदान के लिए जयपुर के प्रो. मोहन लाल शर्मा को ‘शास्त्रशिरोमणि’ उपाधि प्रदान की गई।
शिक्षा क्षेत्र में मूलभूत सुधार के लिए शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, जयपुर के चेयरमैन डॉ. सन्तकुमार चौधरी और संस्कृत शिक्षा में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए डॉ. नमिता मित्तल को ‘विद्वद् भूषण’ उपाधि से सम्मानित किया गया।
राजस्थान का एकमात्र सूर्यसिद्धान्तीय सर्वेश्वर जयादित्य पंचांग प्रकाशित करने के लिए पं.अमित शर्मा को विशिष्ट सम्मान दिया गया।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी,अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् के अध्यक्ष जयशंकर लाल त्रिपाठी और महासचिव डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने सम्मानित विद्वानों को शॉल, रजत पदक, स्फटिक व रुद्राक्ष माला एवं प्रमाणपत्र प्रदान किया।
सम्मानित विद्वानों ने छोटी काशी कहे जाने वाले जयपुर को देश के नक्शे पर ज्ञान और संस्कृति का केन्द्र बनाने का संकल्प व्यक्त किया।